युगान्धर-भूमि
ग्रहण की दस्तक
महारथी विराट 1/5
“प्रणाम महारथी विराट।” वेग ने कक्ष में प्रवेश
करते के साथ ही कहा तो विराट ने, जो अभी तक किसी कार्य में व्यस्त थे पलटकर देखा।
“आओ-आओ वेग, दुष्यंत आओ।” विराट ने आगे बढ़कर दोनों
को अपने सीने से लगा कर स्नेह से कहा। “बहुत प्रसन्नता हुई आप दोनों को देखकर।”
“हमें भी महारथी।” दुष्यंत ने कहा।
“यूँ अचानक कैसे आना हुआ और
बाकी सभी लोग कहा हैं? शौर्य नहीं आए आप लोगों के
साथ?” विराट ने आश्चर्य से पूछा
तो दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा और फिर महामंत्री अग्निवेश की ओर।
“आप लोग बात कीजिए, मैं अभी
कुछ भिजवाता हूँ आप लोगों के लिए। आप मुंह हाथ धोके पहले कुछ ग्रहण कर लीजिए, बहुत लंबा रास्ता तय करके
आए हैं आप लोग।” महामंत्री अग्निवेश ने
स्थिति समझ कर बाहर जाना उचित समझा।
महामंत्री अग्निवेश के बाहर जाने के बाद दुष्यंत और वेग ने
सारी घटनाएं विराट को कह सुनाई जिसे सुनकर विराट का भी चिंतित होना सहज था। विराट कुछ देर तक सोच की
मुद्रा में ही खड़ा रहा।
“क्षिराज का नाम इस घटना में आना कोई शुभ संकेत तो हो
नहीं सकता है क्योंकि वह सदा से नवराष्ट्रों की नीतियों का विरोधी रहा है। परंतु वह एक चुड़ैल के
जरिए कौन सी चाल चलने की सोच रहा है यह तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा है।” विराट अपने मस्तिष्क पर बहुत बल देने पर कोई उत्तर नहीं
ढूँढ सका था।
“परंतु महारथी, यह भी तो
सही नहीं होगा कि उसके
द्वारा भूतकाल में किए अपराधों के कारण बिना तथ्यों को ध्यान में रखे उसे ही दोषी
मान लिया जाए। इस सब में चुड़ैलों का तो क्या कोई लाभ नहीं
है, हम इस दिशा में क्यों एक
बार भी नहीं सोचना चाहते?” दुष्यंत ने अपना पक्ष बताया
जिसे सुनकर विराट वेग की ओर देखने लगा।
“दुष्यंत
मत भूलो तारकेन्दु की गतिविधि संदिग्ध थी और स्वयं गुरु शौर्य के सामने उसने स्वीकारा
है कि उन्हे उस चुड़ैल को, अर्थात रूपसी को जीवित पकड़ने के आदेश थे।"
"हत्या
करने से बड़ा अपराध तो नहीं कर रहे थे वो। होगा कोई कारण, और अगर कारण उचित हुआ तो...?"
"दुष्यंत,
तारकेन्दु को सूर्यनगरी पहुँचने से रोकने के लिए नकाबपोषों का पूरा समूह था जिनसे मैं
उसे जीवित बचा कर लाया हूँ।"
"तो
क्या इससे यह प्रमाणित हो जाता है कि वो प्रयास क्षिराज के द्वारा किया गया था?"
"नहीं
होता, लेकिन संदेह में तो है ना?"
"और
वह चुड़ैल अपराधी नहीं है?
"दुष्यंत,
संदेह के घेरे में चुडैलें भी हैं।” वेग ने दुष्यंत की बात का जवाब देते हुए कहा।
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